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यज्ञशाला की परिक्रमा में उमड़ रही भीड़।

कथावाचक पंडित विवेकानंद जी महाराज ने माता सती का देह त्याग व भगवान शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनाई।

महुली सोनभद्र (राकेश कुमार कन्नौजिया)_

सोनभद्र केविंढमगंज थाना क्षेत्र के जोरुखाड़ ग्राम पंचायत के गुलर घाट पर चल रहे श्रीरामचरितमानस नवाह परायण महायज्ञ में परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है। गुरुवार को यज्ञ के चौथे दिन  आचार्य पंडित तेजभान त्रिपाठी एवं सह आचार्य पंडित अमन शास्त्री ने अरणि मंथन कर अग्नि देवता को प्रकट किया और वेदमंत्रों से उसमें आहुति दी। कथावाचक पंडित विवेकानंद जी
महाराज ने माता सती का देह त्याग व भगवान शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनाई। माता सती के देहवासन व शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुन भक्त भाव-विभोर हो गए। महाराज ने कहा कि देवी सती के पिता ने कनखल में बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया था। जिसमें भगवान शिव व सती को छोड़ सभी देवी-देवता आमंत्रित हुए थे। आकाश मार्ग से कई विमान कनखल की ओर जाते हुए दिखाई पड़े। सती ने उन विमानों को दिखकर भगवान शिव से पूछा, प्रभो, ये सभी विमान किसके है और कहां जा रहे हैं? भगवान शकंर ने उत्तर दिया आपके पिता ने बडे यज्ञ का आयोजन किया है। समस्त देवता और देवांगनाएं इन विमानों में बैठकर उसी यज्ञ में सम्मिलित होने के लिए जा रहे हैं। इस पर सती ने दूसरा प्रश्न किया, क्या मेरे पिता ने आपको यज्ञ में सम्मिलित होने के लिए नहीं बुलाया। यदि आपकी अनुमति हो, तो मैं भी अपने पिता के घर जाना चाहती हूं। यज्ञ में सम्मिलित हो लूंगी। भगवान शिव के मना करने पर भी सती अपने पिता के घर चली। जहां भगवान शिव का अपमान होने पर सती ने देह त्यागने का निर्णय लेते हुए यज्ञ मंडप में ही अपना देह त्याग दिया। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष भगवानदास गोंड़, सुदेश्वर यादव, अशोक यादव, राजमणि यादव, गोछर यादव, दसंई यादव, गुड्डू गोंड़, राजेश गोंड़, रामकिशुन बाबा जी सहित कई लोग उपस्थित रहे। 

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